धूमधाम से मनाई गई संत रविदास जयंती, विशाल शोभायात्रा निकली
थांदला रविदास जयंती के उपलक्ष में समाज के लोगों ने रविदास
मुहल्ला में धूमधाम से संत शिरोमणि रविदास की जयंती मनाई. रविदास की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. उसके पश्चात संत रविदास के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित किए एवं प्रसाद का भोग भी लगाया गया। इसके बाद यात्रा नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई निकाली गई जिसमे नगर की धर्म प्रेमी जनता ने शोभा यात्रा का पुष्प बरसा कर स्वागत किया गया शोभा यात्रा में बड़ी सखियां में महिलाएं, बच्चे, पुरुष बैंड बाजे ढोल की थाप पर थिरकते दिखाई दिए वही इस मौके पर मनीष वाघेला ने संत शिरोमणि रविदास जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को संवत्सर 1833 को हुआ था. कहा जाता है रविदास अपने जीवन काल में बड़े ही धार्मिक स्वभाव के थे. इस दौरान भी वे पारिवारिक तथा सामाजिक दायित्वों का निर्वाह किया. संत रविदास ने समाज को बिना भेदभाव के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश दिया l
रविदास राम जानकी मंदिर से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए रविदास राम जानकी मंदिर में वापस मंदिर में पूजा आरती कर भोजन प्रसादी व महा भंडारा रखा गया था इसमें समाज जन्म व अन्य समाज उपस्थित रहे
धूमधाम से मनाई गई संत रविदास जयंती, विशाल शोभायात्रा निकली
थांदला रविदास जयंती के उपलक्ष में समाज के लोगों ने रविदास
मुहल्ला में धूमधाम से संत शिरोमणि रविदास की जयंती मनाई. रविदास की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. उसके पश्चात संत रविदास के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित किए एवं प्रसाद का भोग भी लगाया गया। इसके बाद यात्रा नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई निकाली गई जिसमे नगर की धर्म प्रेमी जनता ने शोभा यात्रा का पुष्प बरसा कर स्वागत किया गया शोभा यात्रा में बड़ी सखियां में महिलाएं, बच्चे, पुरुष बैंड बाजे ढोल की थाप पर थिरकते दिखाई दिए वही इस मौके पर मनीष वाघेला ने संत शिरोमणि रविदास जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को संवत्सर 1833 को हुआ था. कहा जाता है रविदास अपने जीवन काल में बड़े ही धार्मिक स्वभाव के थे. इस दौरान भी वे पारिवारिक तथा सामाजिक दायित्वों का निर्वाह किया. संत रविदास ने समाज को बिना भेदभाव के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश दिया l
रविदास राम जानकी मंदिर से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए रविदास राम जानकी मंदिर में वापस मंदिर में पूजा आरती कर भोजन प्रसादी व महा भंडारा रखा गया था इसमें समाज जन्म व अन्य समाज उपस्थित रहे